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EP 13 : Story by Talk with Dr. Jetho Lalwani - Sindhi Sahityakaar
इस एपिसोड में हमने मुलाकात की हिंद- सिंध के बर्ख सिंधी- हिंदी-गुजराती -उर्दू के साहित्यकार डॉ. जेठो लालवाणी जी से।सिंधी भाषा पर चर्चा की शुरुआत में उन्होंने बताया कि आज शहरों में जो भाषा बोली जाती है, उस पर दूसरी बोलियों का असर है। शहरों में सिंधी भाषा की मधुरता कहीं धुंधली हो गई है। आज भी गुजरात के कच्छ में ऐसी जगह है, जहां सिंधी भाषा की मिठास बरकरार है।साथ ही चर्चा की गई कि सिंधी भाषा को रोजगार से कैसे जोड़ा जा सकता है। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि जब सिंधी लोग, सिंध से हिंदुस्तान आए तब सिंधी विद्यालयों में सिंधी पढ़ाई जाती थी, जिसके लिए सिंधी विद्वानों द्वारा किताबें बनाई जाती थी और सिंधी प्रेस में किताबें छपती थी, इसी तरह सिंधी भाषा रोजगार से जुड़ी हुई थी। उसके बाद 10 अप्रैल 1967 को सिंधी भाषा को जब संविधान में शामिल किया गया, तो सिंधी में और भी रोजगार जुड़े जैसे कि रेडियो, न्यूज़, दूरदर्शन आदि। आज भी सिंधी भाषा में स्कूल लेवल से लेकर कॉलेज तक सिंधी विषय में पढ़ाई के विकल्प हैं परंतु आज की नौजवान पीढ़ी अपनी भाषा को पढ़ना नहीं चाहती, इसलिए धीरे धीरे हर जगह से सिंधी स्कूल आदि को बंद किया जा रहा है।बच्चों को घर में माहौल भी नहीं दिया जाता। भाषा एक संचार का माध्यम है, यदि सिंधी भाषा में संचार नहीं किया जाएगा तो भाषा विलुप्त होने की ऐसी परिस्थिति भी आ सकती है।अपने विचार और सुझाव हमें लिखकर बताए। सुनते रहे इसी तरह मनोरंजक और ज्ञानवर्धक शो में हमारे साथ "सिंधी संस्कृती" ऑडियो पिटारा से।।।।